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International Journal of Contemporary Research in Multidisciplinary

International Journal of Contemporary Research In Multidisciplinary, 2025;4(1):22-26

त्रिवेणी संग्रहालय, उज्जैन, मध्य प्रदेश की शाक्त दीर्घा में प्रदर्शित सप्तमातृकाओं की मूर्तियों का विश्लेषणात्मक अध्ययन

Author Name: प्रणय शर्मा;  

1. शोधार्थी, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन, मध्यप्रदेश, भारत

Paper Type: research paper
Article Information
Paper Received on: 2024-11-18
Paper Accepted on: 2025-01-05
Paper Published on: 2025-01-16
Abstract:

यह शोध पत्र मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित त्रिवेणी संग्रहालय की शाक्त दीर्घा में प्रदर्शित सप्तमातृकाओं की मूर्तियों का विश्लेषणात्मक अध्ययन प्रस्तुत करता है। सप्तमातृकाएं भारतीय धर्म, संस्कृति, और कला में गहरे धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व की प्रतीक हैं।  इस अध्ययन में इन मूर्तियों के शिल्प, प्रतिमा विज्ञान, और उनके धार्मिक-सांस्कृतिक प्रतीकात्मकता का गहन विवेचन किया गया है। शोध में इन प्रतिमाओं की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, शैलीगत विशेषताओं, और उनकी निर्माण-प्रक्रिया पर चर्चा की गई है। मूर्तियों के प्रतीकात्मक स्वरूप, उनके आभूषण, मुद्राओं, और अन्य कलात्मक तत्वों का विश्लेषण करते हुए यह अध्ययन उनकी सामाजिक और धार्मिक भूमिका को समझने का प्रयास करता है। इसके साथ ही, सप्तमातृकाओं के निर्माण काल और उनके सांस्कृतिक प्रभाव का भी परीक्षण किया गया है। यह शोध त्रिवेणी संग्रहालय में संरक्षित इन मूर्तियों की कलात्मकता और उनकी ऐतिहासिकता को उजागर करने के साथ-साथ, भारतीय शाक्त परंपरा में उनके योगदान और महत्व को रेखांकित करता है। इस अध्ययन का उद्देश्य न केवल भारतीय मूर्तिकला और शिल्पकला के इस अनूठे पहलू को समझना है, बल्कि भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं के व्यापक संदर्भ में सप्तमातृकाओं के महत्व को भी रेखांकित करना है। यह शोध भारतीय कला और संस्कृति के शोधार्थियों के लिए एक महत्वपूर्ण संदर्भ साबित होगा।

Keywords:

भारतीय कला और संस्कृति, सप्तमातृका, एलोरा, विक्रम विश्वविद्यालय, ब्रह्मांडीय ऊर्जा, त्रिवेणी संग्रहालय, उज्जैन

How to Cite this Article:

प्रणय शर्मा. त्रिवेणी संग्रहालय, उज्जैन, मध्य प्रदेश की शाक्त दीर्घा में प्रदर्शित सप्तमातृकाओं की मूर्तियों का विश्लेषणात्मक अध्ययन. International Journal of Contemporary Research in Multidisciplinary. 2025: 4(1):22-26


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