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International Journal of Contemporary Research in Multidisciplinary

International Journal of Contemporary Research In Multidisciplinary, 3;3(6):109-111

स्वतंत्रता समर और हिन्दी भाषा साहित्य की भूमिका

Author Name: संतोष कुमार त्रिपाठी;  

1. हिन्दी विभाग, जवाहर लाल नेहरु स्मा0 महाविद्यालय, महराजगंज, उत्तर प्रदेश, भारत

Paper Type: review paper
Article Information
Paper Received on: 2024-08-21
Paper Accepted on: 2024-09-25
Paper Published on: 2024-11-29
Abstract:

यह शोध पत्र भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हिंदी भाषा और साहित्य की केंद्रीय भूमिका का विश्लेषण करता है। इसमें महात्मा गांधी, मैथिलीशरण गुप्त और माखनलाल चतुर्वेदी जैसे महान स्वतंत्रता सेनानियों और हिंदी लेखकों के योगदान को रेखांकित किया गया है, जिन्होंने अपने लेखन के माध्यम से जनमानस में देशभक्ति और एकता की भावना जागृत की। इन विभूतियों ने अपनी कृतियों के माध्यम से स्वतंत्रता के आदर्शों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया, औपनिवेशिक विचारधाराओं को चुनौती दी और सामूहिक कार्रवाई के लिए प्रेरित किया। इस शोध में यह भी चर्चा की गई है कि कैसे हिंदी इस युग में एकता की भाषा के रूप में उभरी और क्षेत्रीय व सांस्कृतिक बाधाओं को पार किया। गीतांजलि, झांसी की रानी और क्रांतिकारी गीतों जैसे साहित्यिक योगदानों का विश्लेषण किया गया है, जिन्होंने लोगों के दिलों में साहस और आशा का संचार किया। इसके साथ ही, उस समय की वैचारिक धाराओं पर प्रकाश डाला गया है, जहां हिंदी ने औपनिवेशिक दमन का विरोध करने और राष्ट्रीय चेतना को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अध्ययन यह रेखांकित करता है कि हिंदी साहित्य ने सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन के प्रेरक तत्व के रूप में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, और यह भारत के स्वतंत्रता संग्राम व सांस्कृतिक पुनर्जागरण के व्यापक संदर्भ में इसकी स्थायी प्रासंगिकता को दर्शाता है।

Keywords:

राष्ट्रीय आंदोलन, हिंदी भाषा, अखंडता, स्वतंत्रता संग्राम

How to Cite this Article:

संतोष कुमार त्रिपाठी. स्वतंत्रता समर और हिन्दी भाषा साहित्य की भूमिका. International Journal of Contemporary Research in Multidisciplinary. 3: 3(6):109-111


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