International Journal of Contemporary Research In Multidisciplinary, 2024;3(1):259-264
रंगभूमि में निहित सामाजिक संरचना और मानव मूल्य
Author Name: मेरी तिर्की; प्रो० डॉ० संजय कुमार;
Abstract
यह शोध-पत्र हिन्दी नाटकों में मध्यम वर्गीय जीवन और उससे जुड़े संघर्षों के विविध आयामों का विश्लेषण करता है। स्वतंत्रता-पूर्व काल से लेकर समकालीन युग तक, हिन्दी नाटककारों ने मध्यम वर्ग के बदलते मूल्यों, पारिवारिक संरचना में आए परिवर्तनों, आर्थिक दबावों, पीढ़ीगत टकरावों, स्त्री-पुरुष संबंधों में जटिलताओं तथा वैश्वीकरण और डिजिटल क्रांति के प्रभावों को अपनी रचनाओं में अभिव्यक्त किया है। मोहन राकेश, विजय तेंदुलकर, भीष्म साहनी, असगर वजाहत और सुरेंद्र वर्मा जैसे नाटककारों के नाटकों में मध्यम वर्गीय समाज की विडंबनाओं, चुनौतियों और आकांक्षाओं का यथार्थपरक चित्रण मिलता है। यह अध्ययन यह भी दर्शाता है कि हिन्दी नाटकों में मध्यम वर्गीय जीवन केवल पारिवारिक स्तर तक सीमित न होकर सामाजिक, सांस्कृतिक और वैचारिक धरातल पर भी विश्लेषण की माँग करता है।
Keywords
प्रेमचंद, रंगभूमि, मानव मूल्य, समाजशास्त्रीय अध्ययन, यथार्थवाद, सामाजिक चेतना, नैतिक आदर्श, अहिंसा, सत्य, त्याग, करुणा, सामंती व्यवस्था, पूँजीवाद, वर्ग-संघर्ष, उपनिवेशवाद, धार्मिक सहिष्णुता, जातिगत भेदभाव, ग्रामीण जीवन, शहरी जीवन, भारतीय समाज