International Journal of Contemporary Research In Multidisciplinary, 2025;4(1):06-10
जैन दर्शन और बौद्ध दर्शन की सामाजिक एवं शैक्षिक उपयोगिता: वर्तमान परिप्रेक्ष्य में
Author Name: महेन्द्र कुमार;
Abstract
दर्शनशास्त्र की शुरुआत अस्तित्व के प्रति जिज्ञासा से होती है। भारतीय दर्शन प्राचीनकाल से ही जीवन के विभिन्न पहलुओं की व्याख्या करता रहा है और अपने अंदर कई धाराओं को समाहित किये हुए है। इन दर्शनों में जैन दर्शन और बौद्ध दर्शन का विशेष महत्व है। इन सभी का भारतीय समाज, संस्कृति और शिक्षा पर गहरा प्रभाव पड़ा है। प्रस्तुत शोध पत्र इन्हीं बातों को रेखांकित करते हुए जैन और बौद्ध दर्शन की सामाजिक एवं शैक्षिक उपयोगिता का अध्ययन वर्तमान परिप्रेक्ष्य में करने का प्रयास करता है। साथ ही, इसमें दोनों दर्शनों के शिक्षा के उद्देश्यों, शिक्षण पद्धतियों, नैतिक मूल्यों और उनकी सामाजिक उपयोगिता के संदर्भ में समानताओं और भिन्नताओं को समझने का प्रयास किया गया है। यह शोध पत्र दोनों दर्शनों की नैतिकता, अनुशासन, मूल्य शिक्षा, शिक्षण विधियों और उद्देश्यों पर आधारित है। इस शोध पत्र में मुख्यतः द्वितीयक स्रोतों का उपयोग किया गया है।
Keywords
दर्शनशास्त्र, जैन दर्शन, बौद्ध दर्शन, सामाजिक उपयोगिता, शैक्षिक उपयोगिता