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International Journal of Contemporary Research in Multidisciplinary

International Journal of Contemporary Research In Multidisciplinary, 2024;3(5):207-209

सोशल मीडिया और उसके प्रभाव को समझना

Author Name: डॉ. अरविंद कुमार;   डॉ. देवेन्द्र कुमार पाण्डेय;  

1. असिस्टेंट प्रोफेसर, रक्षा एवं स्त्रातेजिक अध्ययन विभाग, एएनडी किसान पीजी कालेज बभनान गोण्डा, उत्तर प्रदेश, भारत

2. असिस्टेंट प्रोफेसर, रक्षा एवं स्त्रातेजिक अध्ययन विभाग, एएनडी किसान पीजी कालेज बभनान गोण्डा, उत्तर प्रदेश, भारत

Abstract

"इंटरनेट एक दोहरी धार वाली तलवार है, जो समाज को एक ओर जोड़ती है और दूसरी ओर तोड़ती भी है। यह एक ऐसा माध्यम है जहां अच्छाई और बुराई दोनों को समान रूप से प्रसारित किया जा सकता है, और जिसके परिणामस्वरूप वैश्विक स्तर पर इसके प्रभाव को देखना शुरू कर रहे हैं।"

 

भारत ने हाल के वर्षों में मास मीडिया और सोशल मीडिया के क्षेत्र में अभूतपूर्व वृद्धि देखी है, जिससे मीडिया की भूमिका वर्तमान परिदृश्य में अत्यधिक महत्वपूर्ण हो गई है। सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के विकास ने टेलीविजन, इंटरनेट, सोशल मीडिया और प्रिंट मीडिया जैसे कई समाचार और सूचना स्रोतों की उपलब्धता और पहुंच को बढ़ाया है । मीडिया न केवल संदेश पहुंचने का काम करता है, बल्कि यह बहस और चर्चाओं के माध्यम से घरेलू या विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों से संबंधित सार्वजनिक धारणा बनाने की कोशिश करता है। मीडिया सूचना का एक विश्वसनीय स्रोत है, जिस पर लोग भरोसा और विश्वास करते हैं। इसलिए, यह राज्य को राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों में विश्वास निर्माण या विश्वास पैदा करने में मदद करता है ।

भारत में मीडिया के विकास को तीन चरणों में देखा जा सकता है-

पहला चरण: 15 वीं और 16 वीं सदी में ईसाई मिशनरी द्वारा प्रिंटिंग प्रेस की शुरुआत, जिसके बाद भारत का पहला अखबार बंगाल गजट 1780 में प्रकाशित हुआ।

दूसरा चरण: आजादी के बाद से अस्सी के दशक तक, जब मीडिया के प्रसार और गुणवत्ता में जबरदस्त वृद्धि हुई।

 तीसरा चरण: नब्बे के दशक में भूमण्डलीकरण के आगमन के साथ, जिससे निजी क्षेत्र में मीडिया का विस्तार हुआ और नई मीडिया प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल बढ़ा ।

Keywords

मास मीडिया, प्रिंटिंग प्रेस, भूमण्डलीकरण, सूचना क्रांति, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, सोशल मीडिया ।