International Journal of Contemporary Research In Multidisciplinary, 2025;4(2):367-371
संत कबीर – समाज सुधार के प्रथम स्वर
Author Name: Sumna Devi; Dr. Jitender;
Paper Type: review paper
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Abstract:
संत कबीर भारतीय इतिहास में एक अनन्य आध्यात्मिक गुरु, दार्शनिक, कवि और समाज सुधारक थे। उन्होंने 15 वीं शताब्दी में भारतीय समाज में व्याप्त धार्मिक कट्टरता, जाति-भेद, छुआछूत और बाह्य अनुष्ठानों के खिलाफ अपनी वाणी के माध्यम से जागृति लाई। उनके विचारों में निर्गुण भक्ति, सामाजिक समानता, धार्मिक एकता और मानवता का संदेश छिपा हुआ है। कबीर ने यह संदेश दिया कि सच्चा धर्म मनुष्य के भीतर की शुद्धता और प्रेम में है, न कि बाहरी रीति-रिवाजों में।
उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश देकर धार्मिक विभाजन को तोड़ने का प्रयास किया और यह स्थापित किया कि ईश्वर एक है, चाहे उसे ‘राम’ कहा जाए या ‘अल्लाह’। उनके दोहे आज भी आम आदमी के जीवन में प्रेरणा का स्रोत हैं। इस लेख में संत कबीर के सामाजिक, धार्मिक और दार्शनिक विचारों का विस्तृत विश्लेषण किया गया है। आज के समाज में भी जहाँ जातिवाद, धर्मनिरपेक्षता की कमी और सांप्रदायिक तनाव बढ़ रहे हैं, वहाँ कबीर की वाणी एक प्रेरक शक्ति के रूप में काम कर सकती है। इसलिए उन्हें समाज सुधार का प्रथम स्वर कहा जाना पूर्णतया उचित है।
Keywords:
संत कबीर, कबीर की वाणी, जातिवाद, राम, भारतीय इतिहास
How to Cite this Article:
Sumna Devi,Dr. Jitender. संत कबीर – समाज सुधार के प्रथम स्वर. International Journal of Contemporary Research in Multidisciplinary. 2025: 4(2):367-371
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