International Journal of Contemporary Research In Multidisciplinary, 2024;3(1):249-252
हिन्दी नाटकों में मध्यम वर्गीय जीवन और संघर्ष: एक विश्लेषणात्मक अध्ययन
Author Name: डॉ. विजय शर्मा;
Paper Type: review paper
Article Information
Abstract:
यह शोध-पत्र हिन्दी नाटकों में मध्यम वर्गीय जीवन और उससे जुड़े संघर्षों के विविध आयामों का विश्लेषण करता है। स्वतंत्रता-पूर्व काल से लेकर समकालीन युग तक, हिन्दी नाटककारों ने मध्यम वर्ग के बदलते मूल्यों, पारिवारिक संरचना में आए परिवर्तनों, आर्थिक दबावों, पीढ़ीगत टकरावों, स्त्री-पुरुष संबंधों में जटिलताओं तथा वैश्वीकरण और डिजिटल क्रांति के प्रभावों को अपनी रचनाओं में अभिव्यक्त किया है। मोहन राकेश, विजय तेंदुलकर, भीष्म साहनी, असगर वजाहत और सुरेंद्र वर्मा जैसे नाटककारों के नाटकों में मध्यम वर्गीय समाज की विडंबनाओं, चुनौतियों और आकांक्षाओं का यथार्थपरक चित्रण मिलता है। यह अध्ययन यह भी दर्शाता है कि हिन्दी नाटकों में मध्यम वर्गीय जीवन केवल पारिवारिक स्तर तक सीमित न होकर सामाजिक, सांस्कृतिक और वैचारिक धरातल पर भी विश्लेषण की माँग करता है।
Keywords:
हिन्दी नाटक, मध्यम वर्ग, पारिवारिक विघटन, आर्थिक संघर्ष, स्त्री-पुरुष संबंध, पीढ़ीगत अंतराल, वैश्वीकरण, आधुनिकता, सामाजिक यथार्थ, डिजिटल युग, सांस्कृतिक परिवर्तन, मूल्यों का संकट
How to Cite this Article:
डॉ. विजय शर्मा. हिन्दी नाटकों में मध्यम वर्गीय जीवन और संघर्ष: एक विश्लेषणात्मक अध्ययन. International Journal of Contemporary Research in Multidisciplinary. 2024: 3(1):249-252
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