International Journal of Contemporary Research In Multidisciplinary, 2024;3(5):229-232
संस्कृत परंपराओं में सार्वभौमिक मूल्य:मानवाधिकारों की उत्पत्ति का अन्वेषण
Author Name: डॉ. मिलन बर्मन;
Paper Type: review paper
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Abstract:
यह अध्ययन संस्कृत परंपराओं में निहित सार्वभौमिक मूल्यों और मानवाधिकारों की उत्पत्ति के बीच संबंधों का अन्वेषण करता है। आधुनिक युग में मानवाधिकारों को नई अवधारणा माना जाता है, लेकिन इसके मूल प्राचीन भारतीय संस्कृत साहित्य, जैसे वेद, उपनिषद और स्मृति ग्रंथों में गहराई से समाहित हैं। इन ग्रंथों में मानव गरिमा, न्याय, अहिंसा, समानता और स्वतंत्रता जैसे मूल्यों का वर्णन मिलता है, जो वर्तमान मानवाधिकार सिद्धांतों के अनुरूप हैं। इस अध्ययन में संस्कृत शास्त्रों के महत्वपूर्ण श्लोकों और विचारों का विश्लेषण किया गया है, जो सार्वभौमिक समानता, सामाजिक न्याय और परस्पर सम्मान को प्रोत्साहित करते हैं। निष्कर्ष में यह रेखांकित किया गया है कि ये मूल्य आज भी प्रासंगिक हैं और एक न्यायसंगत और समरस समाज की स्थापना में सहायक हैं।
Keywords:
मानवाधिकार, शिक्षा का अधिकार, संस्कृत ग्रंथ, राजधर्म, सामाजिक न्याय
How to Cite this Article:
डॉ. मिलन बर्मन. संस्कृत परंपराओं में सार्वभौमिक मूल्य:मानवाधिकारों की उत्पत्ति का अन्वेषण. International Journal of Contemporary Research in Multidisciplinary. 2024: 3(5):229-232
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