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International Journal of Contemporary Research in Multidisciplinary

International Journal of Contemporary Research In Multidisciplinary, 2022;1(1):16-22

पोषण स्तर की विभिन्न स्थितियों का पुनरावलोकन

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1.

Abstract

किसी भी व्यक्ति के स्वास्थ्य की वह स्थिति जो पोषक तत्वों के पाचन एवं अवशोषण से प्रभावित होती है  उस व्यक्ति का पोषण स्तर कहलाती है तथा इस पोषण स्तर के निर्धारण में पोषण की विभिन्न स्थितियाँ उत्तरदायी होती है। पोषण की स्थितियों के आधार पर ही हमारा शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, संवेगात्मक तथा सामाजिक विकास प्रभावित होता है। सीधे तौर पर कहा जाए तो पोषण तथा स्वास्थ्य आपस में घनिष्ट संबंध से जुड़े होते हैं। जिस प्रकार पोषकों युक्त उत्तम भोजन ग्रहण करने पर हमारा शरीर हष्ट पुष्ट एवं स्वस्थ बना रहता है तो वही दूसरी ओर पोषकों रहित भोजन खाने, या कम खाने जैसी चीजों से हमारा स्वास्थ्य खराब होने की संभावनाएं वृद्धि करती हैं। विश्व का प्रत्येक पांचवा बच्चा भारत में निवास करता है ऐसे में पोषण स्थितियों का सीधा सा प्रभाव उसकी वृद्धि एवं विकास पर पड़ता है। किसी भी राष्ट्र के लिए उसमें रहने वाले बच्चों एवं नागरिको का स्वास्थ्य एवं खाद्य सुरक्षा अत्यंत है आवश्यक कारक होता है। देश की आबादी का औसत पोषण स्तर उस आबादी के  स्वस्थ जीवन का या उसके बीमारूपने का परिचायक होता है। ऐसे में राष्ट्रो हेतु स्वस्थ पोषण स्तर का निर्धारण  एक चुनौती पूर्ण कार्य होता है। भारत में पोषण स्तर की बात करें तो जन्म से 5 वर्ष तक के लगभग 42.5 फीसदी बच्चे एवं 36 फीसदी  महिलाएं सामान्य से कम वजन के होती  हैं। 6 से 35 माह के  लगभग 79 फीसदी बच्चों में  तथा 56 फीसदी किशोरियों में लौह तत्व की कमी पायी जाती है। तथा 15 से 19 वर्ष की लगभग आधी किशोरियाँ अल्प पोषण का शिकार हैं। पोषण स्तरों के अभाव के कारण ही मरास्मस एवं क्वाशियरक्योर जैसी गंभीर रोगों को देखा जाता सकता है।

Keywords

पोषण, सामाजिक विकास, सुपोषण, एम स्वामीनाथन, उत्तम भोजन