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IJCRM
International Journal of Contemporary Research in Multidisciplinary
ISSN: 2583-7397
Open Access • Peer Reviewed
Impact Factor: 5.67

International Journal of Contemporary Research In Multidisciplinary, 2025;4(3):535-538

महिला सशक्तिकरण

Author Name: Basanti Karodi;   Dr. Richa Shrivastava;   Dr. Niti Nipuna;  

1. LLM, Sage University, Indore, Madhya Pradesh, India

2. LLM, Sage University, Indore, Madhya Pradesh, India

3. LLM, Sage University, Indore, Madhya Pradesh, India

Abstract

महिला सशक्तिकरण का अर्थ है महिलाओं को सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक, राजनीतिक और कानूनी दृष्टि से सक्षम बनाना ताकि वे अपने जीवन में स्वतंत्र निर्णय ले सकें और समाज में समान अधिकार प्राप्त कर सकें। यह एक ऐसा प्रक्रिया है जिसमें महिलाओं को उनकी योग्यता, आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास को बढ़ाने का अवसर मिलता है।
भारत में महिला सशक्तिकरण के लिए कई प्रयास किए गए हैं, जैसे – बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, उज्ज्वला योजना, सुकन्या समृद्धि योजना, और आरक्षण नीति आदि। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और नेतृत्व के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने से उनका विकास संभव हो पाया है।
हालांकि अभी भी समाज में लिंग भेदभाव, अशिक्षा, दहेज प्रथा, घरेलू हिंसा जैसी समस्याएं मौजूद हैं, लेकिन निरंतर प्रयासों से बदलाव आ रहा है। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना केवल उनके लिए ही नहीं, बल्कि पूरे समाज और राष्ट्र के विकास के लिए आवश्यक है।
निष्कर्षतः, महिला सशक्तिकरण एक ऐसी कुंजी है जो समृद्ध और समतामूलक समाज का निर्माण कर सकती है। जब महिलाएं सशक्त होंगी, तभी देश सशक्त होगा.
 

Keywords

महिला, सशक्तिकरण, अधिकार, समानता, शिक्षा, रोजगार, आत्मनिर्भरता