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International Journal of Contemporary Research in Multidisciplinary

International Journal of Contemporary Research In Multidisciplinary, 2025;4(1):156-164

भारत- चीन संबंधों में 14 वें दलाई लामा की भूमिका: एक आनुभाविक अध्ययन

Author Name: प्रताप दान;  

1. शोधार्थी, राजनीति विज्ञान विभाग, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर, राजस्थान, भारत

Abstract

भारत और चीन, दो प्राचीन सभ्यताएं, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों से जुड़े रहे हैं, किंतु तिब्बत और दलाई लामा से संबंधित मुद्दों ने इनके द्विपक्षीय संबंधों में जटिलता उत्पन्न की है। 1959 में दलाई लामा द्वारा भारत में शरण के लेने के बाद, तिब्बत मुद्दा दोनों देशों के बीच तनाव का एक महत्वपूर्ण कारण बन गया है। यह शोध-पत्र भारत-चीन संबंधों में 14वें दलाई लामा की भूमिका का आनुभविक विश्लेषण प्रस्तुत करता है जिसमें निर्वासित तिब्बती समुदाय के 240 उत्तरदाताओं का सर्वेक्षण किया गया है, जिसमें उनके भारत-चीन संबंधों, तिब्बत विवाद, और दलाई लामा की भूमिका पर विचार संकलित किए गए।  सीमा विवाद, व्यापार असंतुलन, और सांस्कृतिक मतभेद भी इन संबंधों में प्रमुख बाधाएँ हैं। शोध निष्कर्ष यह दर्शाते हैं कि तिब्बत का मुद्दा भारत-चीन संबंधों को गहराई से प्रभावित करता है, और अधिकांश उत्तरदाता इसे एक महत्वपूर्ण कारक मानते हैं। इस अध्ययन में यह भी विश्लेषण किया गया कि भारत और चीन के बीच आपसी सहयोग एवं वार्ता की संभावनाएँ क्या हैं, और किन नीतिगत सुधारों से संबंधों को सुधारने में सहायता मिल सकती है। निष्कर्षतः, यह शोध भारत-चीन संबंधों की संवेदनशीलता को उजागर करते हुए दलाई लामा और तिब्बत मुद्दे के प्रभावों को रेखांकित करता है।

Keywords

भारत-चीन संबंध, तिब्बत विवाद, दलाई लामा, निर्वासित तिब्बती समुदाय, सीमा विवाद, कूटनीति।